बुधवार, फ़रवरी 18, 2009

मान्यता के दवाब में संजय राजनीति में आए

लिजिए साहब, अपने संजू बाबा यानि संजय दत्त चुनाव प्रचार के लिए नवाबों की नगरी पहुँच ही गए।
आपको शायद याद हो, अगर नहीं तो मैं याद दिला देता हूँ। दिसम्बर 0८ के अन्तिम सप्ताह में एक टी.वी कार्यक्रम के दौरान संजय दत्त से एक सवाल पूंछा गया कीक्या वह अपने पिता की विरासत को आगे बढाते हुए राजनीति में आकर देश की सेवा करना चाहेंगे। इसके जवाब में संजू ने कहा की वह देश सेवा तो करना चाहते है पर वह राजनीति को ही इसका एक मात्र साधन नहीं मानते।
लेकिन, लेकिन, लेकिन असली बात तो अब शुरू होती है। जब संजय अपनी बात कह रहे थे तब उनकी पत्नी मान्यता 'दत्त' दर्शक दीर्घा में बैठी थी। संजय अपनी बात पुरी कह भी नहीं परे थे कि मान्यता उचकीं और संजय के जवाब पर अपनी असहमति जताते हुए हाथ हिलाया और बोलीं कि मेरे हिसाब से संजय को अपने पिता कि विरासत सँभालने के लिये राजनीति में आना चाहिए। संजय ने उस समय यह भी कहा कि पिता कि विरासत अगर उनकी बहन प्रिया संभालतीं रहे तो उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं।
ध्यान दीजियेगा यह बाकया दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह का है। इसी बीच ८ जनवरी को सपा के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह ने उत्तर प्रदेश से लोकसभा उम्मीदवारों कि सूची जारी की। सूची में अप्रत्याशित ढंग से संजय का नाम उत्तर प्रदेश की राजधानी से shamil था। मीडिया ने संजय की talaash शुरू की तो पता चला की वह shinagar में एक फ़िल्म की shuting कर रहे है। उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा की राजनीति में आने या न आने का उन्होंने कोई nirnay नहीं लिया है। इसके बाद १० तारीख को अमर सिंह ने कहा की संजय chunaav नहीं ladh पते है तो उनकी पत्नी मान्यता chunaav ladengin। इसके बाद १६ तारीख को संजय ने यह बात svekaar कर li की वह चुनाव ladenge। यही नहीं १७ तारीख को संजय lucknow पहुंचे। शायद लोगों के mann की thaah लेने। road शो के दौरान jabardast भीड़ umdi। umadti क्यों न आख़िर show में संजय, मान्यता, manoj tiwari, jayaprada और jaya bachchan जैसे diggaj जो maujood थे।
मैंने ये saari बातें tarikhbaar इसलिए likhin taki आपको बता sakoon की darasal संजय का mann राजनीति में आने का नहीं था। उन्हें maloom है की पिता की rajnitik विरासत को उनकी बहन प्रिया jyada vehtar dhang से sambhal रहीं है। likin यह मान्यता की jid ही थी की संजय को राजनीति में आना पड़ा।
साहब जरा taarikon पर गौर कीजिये, दिसम्बर का आखिरी सप्ताह जब संजय से pocha गया की क्या वह राजनीति में आना चाहते है। patrakaaron की aadat होती है की वह किसी भी chetra की बड़ी hasti से यह punch लेते है की क्या वह राजनीति में आना चाहते है। यह भी कुछ ऐसा ही सवाल था। संजय ने mana किया और मान्यता ने कहा आना चाहिए। सपा महासचिव अमर सिंह ने tutant संजय से sampatk saadha और चुनाव ladne का agrah किया। संजय ने बड़ी vinamrata से mana कर दिया। अमर सिंह को जो लोग jante है वह यह भी jante है है की अमर सिंह इतनी aasani से हार manane valon में नहीं है। अमर ने मान्यता से sampark sadha और कहा की वह संजय को चुनाव ladne के लिए taiyar करें। मान्यता ने कुछ deer सोचा और कहा की आप नाम की ghoshana कर दो मैं sambhal lungi। अमर सिंह ने ८ tarikh को उनके नाम की ghoshana कर दी। जब srinagar में patrakaroonne संजय से pratkriya chahi तो वह कुछ भी kahne की स्थिति में नहीं थे। मान्यता से भी संजय ने कह diya की वह चुनाव नहीं ladenge अगर तुम ( मान्यता) chaho तो ladh saktin हो। १० जनवरी को स्थिति को bhampte हुए अमर सिंह ने कहा की अगर संजय नहीं तो मान्यता ही सही। पर मान्यता adh gayin की उन्हें ( संजय) को चुनाव ladna ही है। मान्यता को संजय को manane में ६ दी लग गए और १६ तारीख को sanajy ने कह दिया की वह चुनाव ladenge। उनका mann kahin फ़िर badal न जाए इसलिए अगले ही दिन यानि १७ को अमर सिंह और मान्यता यह jatane के लिए की देखो तुम्हे loog कितना चाहते है lucknow पहुँच गए। road शो के दौरान आपने देखा होगा की संजय के एक तरफ़ मान्यता thin तो dusri तरफ़ अमर सिंह। इस dauran मान्यता ने संजय से कहा भी की deko लोग तुम्हे कितना प्यार करते है। अमर सिंह ने मान्यता की हाँ में हाँ milai। संजय यह देख कर hanse बिना नहीं रह सके। एक बात और संजय जब १८ को फ़िर lucknow पहुँचे तो भी यह kahne से नहीं चुके की वह vaastav में देश की सेवा करना चाहते थे न की राजनीति। आगे जो बात संजय ने नहीं कही vo मैं pahle ही कह चुका हूँ।
आपको इस bare में क्या लगता है अपने tarkpurn thatyon से avasya avgat karayen।

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