सोमवार, सितंबर 28, 2009

अलविदा ब्लॉगवाणी

ब्लाग वाणी के बंद होने का समाचार मिला। सुनकर एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन जब खुद जाकर देखा तो विश्वास करना ही पडा, न करता तो क्या करता। ब्लागवाणी के जाने का गम तो बहुत है पर क्या करूं। हालांकि बंदी का जो कारण बताया गया वो समझ से परे था। ब्लाग वाणी के माध्यम से न जाने कितने ही लोगों को अपनी आवाज बुलंद करने का सुअवसर मिला था। उन सबसे एक माध्यम छिन गया है। इसके लिए किया क्या जा सकता है बस दुख ही प्रकट किया जा सकता है और यह प्रणा लिया जा सकता है कि आगे से ब्लाग के किसी अन्य माध्यम को कदापि बंद नहीं होने देंगे।
कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे ब्लागरों की सेहत पर बहुत गलत असर पडेगा बात सही है लेकिन यह बात मैं मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं कि इसके बाद अन्य ब्लाग भी बंद हो जाएंगे। हालांकि सच कहूं तो अभी भी मन करता है कि कोइ कह दे कि नहीं ब्लाग वाणी बंद नहीं हुआ वह सब बस एक मजाक भर था पर ऐसा हो नहीं सकता।

गुरुवार, सितंबर 24, 2009

थरुर को चाहिए सिनकारा

बात यहीं से शुरु करता हूं। शाशि थरुर साहब का कहना है कि वे काम के बोझ के मारे हैं। सोशल नेटवकिग साइट टिवटर पर थरुर साहब लिखते हैं कि बुधवार को उनका १७ बैठकों और मुलाकातों का बेतुका कायकज़म था। वे यहीं नहीं रुके आगे बोले कि जब आप विदेश से वापस आते हैं तो हमेशा उसकी कीमत अदा करते हैं। इस दोरान थरुर साहब ने आफिस में पडी फाइलों का भी जिक किया। वे करीब एक हफते तक आफिस से गैर हाजिर थे। आप जानते ही होंगे कि शशि थरुर साहब भारत के विदेश राजय मंञी हैं। थरुर साहब काम के बोझ के मारे हैं। लेकिन एक बात गौर करिये वे टिवटर पर लिखना नहीं भूलते। इसके लिए समय निकाल ही लेते हैं। मेरी यह समझ में नहीं आता कि थरुर साहब से लोकसभा चुनाव लडने के लिए किसने कहा था। किसी ने नहीं कहा। चलिए मान लेते हैं लेकिन जीतने के बाद उनसे मंञी बनने के लिए किसने दवाब डाला। किसी ने नहीं तो वे मंञी कयों बन गए। अरे अगर काम करने का मन नहीं था तो मंञी बनने की कया जरुरत थी। अभी भी मन नहीं है तो इसतीफा कयों नहीं दे देते। किसी ने रोका हो तो उसका नाम बताइये। आप देश के विदेश राजय मंञी के पद पर बैठे किसी वयकित से इस तरह के बयान की उममीद कैसे कर सकते हैं। उनके बयान से तो एसा लगता है कि वे काम करके किसी पर अहसान कर रहे हों। अरे साहब रहने दीजिए मत काम कीजिए। िबला वजह परेशान कयों हो रहे हैं। आप टिवटर पर ही अचछा लिखते हैं वहीं लिखये जैसे मैं बलाग पर अचछा लिखता हूं। और हां अगर मंञी पद नहीं छोडना जो नहीं ही छोडना होगा तो आपको चाहिए सिनकारा। है न।

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