तुम्हारे सिवा भी
दर्द बहुत थे
कुछ मिट गए,
कुछ बीत गए
कुछ रीत गए
बाकी सब
रह रहकर चुभते है
पर
एक वो जो न बीता न रीता
और न ही भूला
और चुभाना तो दूर
जिस कमबखत ने छुआ तक नहीं मुझे
बस एक आदत सा
साथ साथ चलता है
राग राग में बसा रहता है
पर आज भी कुआर है
वह दर्द तुहारा है
1 टिप्पणी:
good
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