रविवार, जनवरी 10, 2010

क्या होगा ऐसे प्रतिबंध से

वैसे, कहा जाता है कि जब कोई मामला न्यायालय में विचाराधीन हो तो उस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। लेकिन कम से कम ब्लाग पर तो लिख ही सकता हूं। सो लिख दे रहा हूं। हो सकता है कि यह अदालत की अवमानना हो। अगर हो तो मुझे माफ कर दें।दरअसल, मैं जो बात कहना चाहता हूं वह यह है कि पता चला है कि जम्मू कश्मीर में प्री पेड मोबाइल पर प्रतिबंध जारी रहेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि संभावना जताई जा रही है कि अगर प्रतिबंध हटा दिया जाता है तो आतंकी उसका गलत फायदा उठा सकते हैं। मेरा सवाल यह है कि अभी दो दिन पहले ही आतंकवादियों ने श्रीनगर में हमला कर दिया और उनको मार गिराने में हमें करीब 22 घंटे का समय लग गया। पता चला है कि आतंकी पाकिस्तान में अपने आकाओं से बात कर रहे थे। मेरी परेशानी यह है कि आतंकियों को जो करना था किया फिर हमारी सुरक्षा व्यवस्था से क्या हासिल। जिन्हें जो करना है करते हैं। परेशान आम आदमी ही होता है।
केन्द्र सरकार का इरादा। सीमा पर से सेना हटाने का भी है। मुंबई में जब आतंकी घुस आए तो उन्हें मार गिराने में हमें चार दिन का समय लग गया। श्रीनगर में दो आतंकी हमला करते हैं तो उनसे हम 22 घंटे तक मुकाबला करते रहते हैं। इस दौरान हमारे भी सैनिक मारे जाते हैं। हम बडे खुश हो जाते हैं कि हमने आतंकियों को मार दिया, पर इस दौरान जो सैनिक हताहत हुए उसका क्या। कुछ नहीं। हालांकि मेरे इस ब्लाग लिखने से कुछ खास होगा नहीं। न तो मेरी आवाज भारत सरकार तक पहुंचेगी और न हीं वहां तक जहां से इस बारे में कुछ निणय लिये जाते हैं। लेकिन फिर भी अपनी बात रखने और आवाज बुलंद करने का एक मंच है वहां कम से कम अपनी परेशानी तो रख ही सकता हूं।

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