हल्के हल्के फैलती हैउदित होते प्रका कि खु'ाबूस्पष्ट झलकने लगते हैंनदी, पहाड, जंगलखूबसूरती और बदसूरतीसाथ हीगीली मिटटी पर अक्षर भीलेकिनमेरी आंखों में बस एक ही सपनाकइ सदियों सेकइ जन्मों सेऔरइसी रो'ानी की तला'ा है मुझे
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