मंगलवार, जून 07, 2011

बाबा के बहाने...

भई कमाल हो गया... क्या कहूं? और क्या लिखूं? बात से चली थी और कहां पहुंच गई? जिसने चलाई थी उसे भी नहीं पता। चार-पांच जून की रात में बाबा और सरकार के बीच ऐसा कुछ हुआ कि क्या से क्या हो गया। कभी बाबा और बाबा के लोग बोलते हैं तो कभी सरकार और सरकारी लोग। इसके अलावा लगता है देश के लोगों ने बोलने का अधिकार खो दिया है। वह बोल नहीं सकता वह बस सुन सकता है। वह भी चुपचाप।
वैसे देखा जाए तो अच्छा ही हुआ। देश के पास बहुत दिनों से कुछ था भी नहीं। कुछ होना भी तो चाहिए न... कुछ न होना बहुत दु:ख देता है। और कुछ हो जाना खुशी दे जाता है। सरकार की लाठियां भले बाबा और बाबा के भक्तों पर पड़ीं हों लेकिन इससे बहुत सारे लोग खुश हो गए। नेताओं को बोलने का मौका मिल गया। लोगों को बेवकूफ बनाने का एक और अवसर उन्हें बस बैठे बिठाए ही मिल गया। चुंकि मैं राजनीति पर नहीं लिखता और यह राजनीतिक ब्लॉग भी नहीं है इसलिए इस विषय को विस्तार नहीं दूंगा यही पर फुलस्टाप।
साल महीने में कुछ ही ऐसे मौके आते हैं जब सबकी जुबां और कलम पर एक ही विषय हो... ये उन्हीं में से एक है। अखबारों में सर्वज्ञ पत्रकार लेख लिखकर अपनी ज्ञान की गंगा बहा रहे हैं। इसी बहाने लोगों को पता चलेगा कि वह अपनी सक्रिया हैं, शांत नहीं हुए। संपादकीय लिखे जा रहे हैं। वैसे तो संपादकीय निष्पक्ष होना चाहिए लेकिन बाबा के मामले में ऐसा नहीं है। दो तरह के संपादकीय लिखे जा रहे हैं। यह बताने की जरूरत नहीं कि वे दो प्रकार कौन से हैं। इधर देख रहा हूं कि ब्लॉगों पर भी हर व्यक्ति अपनी अपनी तरह से अपना दृष्टिकोण रख रहा है। बहुत से मृतप्राय: पड़े ब्लॉगर भी जाग उठे हैं, आखिर इससे बेहतर मौका और कौन सा मिलेगा की-बोर्ड को तकलीफ देने के लिए। इसी बहाने उसकी धूल भी कुछ साफ हो जाएगी और ब्लॉग एक बार फिर जिंदा हो जाएगा। पूरा देश दो धड़ों में बंटा हुआ है, एक बाबा के साथ है तो दूसरा उनके विरोध में है। बहुत से लोग बाबा का पुलता जला रहे हैं उनमें मैंने ऐसे लोग भी देख जो अक्सर बाबा के दवाखाने पर दिख जाते थे। अब वही बाबा का पुतला जला रहे हैं।
खैर.. भला हो बाबा का जो उन्होंने एक मुद्दा तो दे ही दिया, अब करो बहस। चाय की दुकान हो या अखबार का स्टॉल। हर जगह बस एक ही बात। अखबारों का प्रसार भी बढ़ गया है, टीवी पर दिनभर एक ही खबर देखने के बाद भी लोगों का मन वही बात अखबार में फिर से पढऩे का होता है। मुझसे क्या??? बाबा के बहाने मुझे भी एक मौका मिल गया सो ब्लॉग अपडेट हो गया। शुकिया बाबा।

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