गुरुवार, जुलाई 15, 2010

एसएमएसमीनिया


टीचर : एक साथ जवाब दो।
यूपी की मुख्यमंत्री कौन हैं?
कुतुबमीनार कहां है?
शताब्दी की रफ्तार?
मुर्गी क्या देती है ?


एक महिला फायर स्टेशन फोन करती है। फोन संता उठाता है।
महिला : मेरे घर में आग लग गई है।
संता : पानी डालो
महिला : डाला, पर अभी नहीं बुझी।
संता : तो मैं आकर क्या करुंगा, पानी ही तो डालूंगा।

मेरी जुदाई का गम न करना,
दूर रहूं तब भी प्यार कम न करना।
अगर मिले जिन्दगी के किसी मोड़ पर,
तो प्लीज बंदरों की तरह उछलकूद मत करना।


एक लड़की और एक लड़का एक दूसरे को किस कर रहे थे। अचानक लड़की के पिता आ जाते हैं।
डैडी : क्या कर रहे हो?
लड़की : इस साले ने मेरी लिपगार्ड ले ली थी, वही वापस ले रही हूं।

बीवी : मैं जब गाना गाती हूं तो तुम बाहर क्यों चले जाते हो?
पति : ताकि कोई ये न समझे की मैं तुम्हारा गला दबा रहा हूं।



जी, ये कुछ एसएमएस हैं। चाहें तो चुटकुले भी कह सकते हैं। ये बानगी भर है। ऐसे ना जाने कितने चुटकुलेनुमा एसएमएस मेरे पास आते हैं। इनके आने का भी कोई समय निर्धारित नहीं है। 24 घंटे में कभी भी, मेहमान की तरह।
कहां से आ रहे हैं ये एसएमएस? और कौन कर रहा है ये एसएमएस? तो साहब जवाब है कि कर तो मेरे मित्र और जानने वाले ही रहे हैं। क्या मेरे मित्र और जानने वाले इतने रहीस हैं कि एक दिन में 50-50 मैसेज कर दे। और एक ही दिन क्यों महीनों से, बल्कि कुछ तो सालों से। नहीं साहब न तो मेरे मित्र इतने रहीस हैं और न ही इतने बेवकूफ। वे जिस कंपनी का मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं उसने एक स्कीम निकाली है। बहुत ही कम पैसे का पैक ले लो और महीने भर तक असीमित एसएमएस करो। एक बार पैसा दे ही दिया है तो क्यों नहीं करें एसएमएस। लेकिन उसमें करें क्या? सबसे ऊपर जो कुछ एसएमएस लिखे हैं वही आ रहे हैं।
क्या है इन एसएमएस में ? ये बताने की जरूरत नहीं। एसएमएस में या तो संता बंता के नाम पर किसी समुदाय विशेष को निशाना बनाया जाता है या फिर फूहड़ शायरी रची जाती है। ये नहीं हुआ तो समाज और परिवार का तानाबाना ही बिगाडऩे की कोशिश की जा रही होती है। हमें पता भी नहीं चल पाता कि कब हम इसके शिकार हो गए और हो जाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि मिलने वाले एसएमएस जब एक दो दिन नहीं आते तो हम फोन करके पूछते हैं कि क्या हुआ। नाराज हो क्या, मैसेज नहीं आ रहे हैं।
जिस तरह फोन का अधिक इस्तेमाल करने से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है उसी तरह क्या अधिक मैसेज पढऩे और भेजने से भी कोई बीमारी हो सकती है? पता नहीं पर शोधकर्ताओं के लिए यह शोध का विषय हो सकता है। मुझे लगता है कि अधिकतम लोग इस मैसेजमीनिया के शिकार हो गए हैं। कोई भेजता होगा तो कोई पढ़ता होगा। जो इसमें से कुछ नहीं करता वह निश्चित रूप से भाग्यशाली है, किस्मतवाला है।
मजे की बात यह है कि मोबाइल कंपनियां वही स्कीम पहले कम दाम पर शुरू करती हैं और जैसे ही उन्हें लगता है कि लोग अब इस मोहपाश में फंस गए वैसे ही शुरू हो जाता है दाम बढ़ाने का खेल। पहले अगर पचास रुपए में तीन सौ एसएमएस मिलते थे तो अब सौ रुपए में डेढ सौ मैसेज ही मिलेंगे। अब हमारी तो आदत पड़ चुकी है तो चाहे दो सौ रुपए का मिले हमें तो लेना ही है।
एसएमएस में कहीं प्रेमी प्रेमिका के बीच के अंतरंग बातों को बताया जाता है तो कहीं किसी नेता या अभिनेता पर टिप्पणी की जाती है। उन्हें पढ़कर हम खुश होते हैं।

तो साहब, मेरा यही निवेदन है कि अभी सावधान हो जाइए। अगर आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है तो छोड़ दीजिए और अगर नहीं हो रहा है तो अच्छी बात है। कहीं इस चक्कर में पड़ मत जाइएगा।

एक बात और। हो सकता है आप मेरी बात से सहमत न हों। और इसे इसे अच्छा मानते हों। तब बहुत अच्छा है। निवेदन है कि अपनी बात इस मंच पर रखें ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी बात को जान सकें और इस बहस को आगे बढ़ाने में सहयोग करें।

19 टिप्‍पणियां:

asheesh ने कहा…

sahi lika hai sms mayniya. khob likta hai. keep it up

Rajnish tripathi ने कहा…

dekhiye pankaj bhai aap ne hindi me shabd hai dalal (chahe jis praar k dalal ho jamin ,ladki,jevratetc)jo pahle galt kaam karne me sabse aage rha karte the.vhi is mordan jamne me mobail ne leliya hai jo ki ab ek rikha wale se lekar sahukar tak bina iske kaam kisi ka nahi chalta .mobal matlab khode par ki randi jiske bina kisi ka bhi nahi chalta .jiska nasha muchhe bhi hai.

rajnish

wwwkufraraja.blogspot.com

ZEAL ने कहा…

such schemes are spoiling our younger generation.

nice post !

Unknown ने कहा…

sorry pankaj bhai...mai nahi manta ki sms se kisi ka majak adaya jata hai...sabhi koi maje ke liye sunte aur sunate hai...aur mobile comapniya dam kya badhayegi...aaj ka upbhokta bahut samajhdar hai...dam bada dusra sim lo pehla fenko...

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

आपकी बात अपनी जगह सही है। ग्राहक बढ़ाने और आदत लगाने के लिए ये कंपनियां सस्ती सेवाएं चलाती हैं और फिर दाम बढ़ा देती हैं। एक बार आदत बन गई तो यूं ही थोड़े जा सकती है यह कंपनियां जानती हैं। तभी तो रोटी से भी सस्ती सिम और मोबाइल पकड़ा दिए, क्योंकि उन्हें पता था कि एक बार आदमी ग्राहक बन गया तो हाथ आई चीज को फेंकेगा नहीं। ये सब बड़े लोगों का खेल है बाबू। अपन को क्या है। खैर अपने लिए मैसेज सुविधा बड़ी सुविधाजनक है।

avadhesh gupta ने कहा…

पंकज जी, आपने जो प्रश्र उठाए हैं। जायज हैं। लेकिन गलाकाट प्रतिस्पद्र्धा के जमाने में हर कंपनी आगे रहना चाहती है। मोबाइल सेवा में भी यही बात लागू होती है। इसलिए हर कंपनी ऐसे ऑफर देती है। यदि हम ये कहें कि भीड़ और तनाव भरी जिंदगी में व्यक्ति हंसना भूल गया है। मैसेज कैसा भी हो, पढऩे के बाद चेहरे पर एक बार मुस्कुराहट तो आ ही जाती है। इसी चीज को कंपनियों ने कैश कर लिया है। आप जानते होंगे आजकल तो मैसेज के जरिए मार्केटिंग होने लगी है। कई विज्ञापन इसके आते हैं। जहां आप बोल नहीं सकते एक मैसेज से काम चल जाता है। पैसे कम लगते हैं। इसके अपने फायदे भी हैं और नुकसान भी। ये बोझिल तब हो जाते हैं, जब कंपनी के अनचाहे मैसेज आते हैं। खैर, ये काम के तो होते हैं।

निर्मला कपिला ने कहा…

हमे तो ये बीमारी लगी ही नही। अब और भी सावधान रहेंगे। आभार।

कडुवासच ने कहा…

.... बेहतरीन चुट-चुट-चुटकुले !!!!

hempandey ने कहा…

यह मोबाइल कंपनियों द्वारा ग्राहक को फांसने का हथकंडा है और शासन ने बाजारवाद के चलते इस प्रकार के हथकंडों की खुली छूट दे रखी है.

Prem Farukhabadi ने कहा…

एक महिला फायर स्टेशन फोन करती है। फोन संता उठाता है।
महिला : मेरे घर में आग लग गई है।
संता : पानी डालो
महिला : डाला, पर अभी नहीं बुझी।
संता : तो मैं आकर क्या करुंगा, पानी ही तो डालूंगा।

बहुत अच्छा लगा और आपका लेख भी
सराहनीय है .

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

bahut sunder bandhu bahut achchi shakal di hai sms ko aapne achcha laga padhkar

Mahak ने कहा…

Part 1of 4

बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

Mahak ने कहा…

आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


1. डॉ. अनवर जमाल जी
2. सुरेश चिपलूनकर जी
3. सतीश सक्सेना जी
4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
5. प्रवीण शाह जी
6. शाहनवाज़ भाई
7. जीशान जैदी जी
8. पी.सी.गोदियाल जी
9. जय कुमार झा जी
10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
11.असलम कासमी जी
12.राजीव तनेजा जी
13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
14.साजिद भाई
15.महफूज़ अली जी
16.नवीन प्रकाश जी
17.रवि रतलामी जी
18.फिरदौस खान जी
19.दिव्या जी
20.राजेंद्र जी
21.गौरव अग्रवाल जी
22.अमित शर्मा जी
23.तारकेश्वर गिरी जी

( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

mahakbhawani@gmail.com

Mahak ने कहा…

हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

जय हिंद

महक

बेनामी ने कहा…

बहुत बढिया!

संजीव गौतम ने कहा…

mujhe to is blogging se bhi ghabrahat hone lagti hai.
अति सर्वत्र वर्जयते

Parul kanani ने कहा…

wah pankaj ji..kya baat kahi hai :)

manoj kumar sharma ने कहा…

पंकज जी आपने लिखा है कि ये हंसी के फव्वारे कुछ आपके दोस्तों ने और कुछ आपके चाहने वालों ने ही मैसेज किया। सच कहिएगा की जब ये मैसेज आपने पढ़ें तो क्या आपके चेहरे पर मुस्कान नहीं आई थी। इसके अलावा आपने इनके बारे में लोगों से चर्चा भी की होगी। इस मंहगाई में एक पैसे में इतना कुछ मिल रहा है तो क्या ये गलत है। आपके दोस्त अगर आपको दोस्त आपको एक पैसे में याद कर लेते है तो ये क्या कम है। इसलिए दूसरो को मैसेज करने से रोकने के बजाय आप खुद भी किसी को एक पैसे में याद कर सकते है। बस जरूरत है तो एक पैसा खर्च करने की। तो आज से ही शुरू हो जाइए। आप भी।मैसेज से महंगा तो नेट है जिसकी शायद आपको लत लग चुकी है। नेट से आप-अपने आप को बहुत कम दूर रखते होंगे। हो सकता है आप शायद आने वाले समय मेें लेपटॉप भी खरीद लेंगे, वो सिर्फ नेट चलाने के लिए। क्योंकि आपको नेट के बिना रहा नही नहीं जाएगा। जो हो रहा है उसे होने दो।

एक मैसेज मेरी तरफ से भी जो शायद आपके थोड़ा मुस्करा सके।

manoj kumar sharma ने कहा…

पंकज जी आपने लिखा है कि ये हंसी के फव्वारे कुछ आपके दोस्तों ने और कुछ आपके चाहने वालों ने ही मैसेज किया। सच कहिएगा की जब ये मैसेज आपने पढ़ें तो क्या आपके चेहरे पर मुस्कान नहीं आई थी। इसके अलावा आपने इनके बारे में लोगों से चर्चा भी की होगी। इस मंहगाई में एक पैसे में इतना कुछ मिल रहा है तो क्या ये गलत है। आपके दोस्त अगर आपको दोस्त आपको एक पैसे में याद कर लेते है तो ये क्या कम है। इसलिए दूसरो को मैसेज करने से रोकने के बजाय आप खुद भी किसी को एक पैसे में याद कर सकते है। बस जरूरत है तो एक पैसा खर्च करने की। तो आज से ही शुरू हो जाइए। आप भी।मैसेज से महंगा तो नेट है जिसकी शायद आपको लत लग चुकी है। नेट से आप-अपने आप को बहुत कम दूर रखते होंगे। हो सकता है आप शायद आने वाले समय मेें लेपटॉप भी खरीद लेंगे, वो सिर्फ नेट चलाने के लिए। क्योंकि आपको नेट के बिना रहा नही नहीं जाएगा। जो हो रहा है उसे होने दो।

एक मैसेज मेरी तरफ से भी जो शायद आपके थोड़ा मुस्करा सके।

गर्ल : प्लीज आज मत डालना
ब्यॉय: क्यों?
गर्ल: कल तुम डालकर सो गए मैं पूरी रात मसलती रही और पानी भी निकलता रहा।


मुझे लगता है ये आई ड्रॉप सही नहीं है।

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