गुरुवार, जनवरी 28, 2010
अब सोचता हूं
तुमने मुझे देखा
कुछ इस तरह
कि मंत्रमु्ग्ध मैं
दौडकर पहुंच गया
तुम्हारे पास
वर्जनाओं की लौह दीवार
लंघकर
क्षितिज के उस पार
तस्वीर की सारी रेखाएं
जहां आधी अधूरी हैं
अपूर्ण हैं
अब सोचता हूं
अपूर्णता ही पूर्णता है क्या
1 टिप्पणी:
Rajeysha
ने कहा…
अपूर्णता ही पूर्णता है क्या ??
वाकई ये विचारणीय प्रश्न नहीं है क्या ????
गुरुवार, जनवरी 28, 2010 5:45:00 am
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1 टिप्पणी:
अपूर्णता ही पूर्णता है क्या ??
वाकई ये विचारणीय प्रश्न नहीं है क्या ????
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