रविवार, अगस्त 22, 2010

सावधान ! आगे खतरा है

सबसे पहले तो मैं ये बता दूं कि मैं जो कुछ भी यहां लिखने जा रहा हूं मैं चाहता हूं कि वह गलत निकले। क्योंकि अगर मेरी कही हुई बात गलत निकली तो ही ठीक है। लेकिन फिर भी आशंकाओं के बादल मंडरा रहे हैं।
15 अगस्त शांति से निपट गया है। जम्मू-कश्मीर की घटना छोड़ दें तो बाकी सभी जगह सब ठीक ठाक रहा। अगस्त का महीना समाप्त होते ही ऐसा कुछ होने वाला हैै कि कुछ भी हो सकता है। सबसे पहले इस बात की संभावना है कि अयोध्या विवाद का फैसला सितम्बर में आ जाए। फैसला आएगा तो यह तय कि कुछ न कुछ जरूर होगा। अगर फैसला मुसलमानों के पक्ष में जाएगा तो हिन्दूवादी संगठन चुप नहीं बैठेंगे और कुछ न कुछ जरूर करेंगे, इसके लिए अंदरखाते योजना बननी भी शुरू हो गई है। फैसला आते ही कुछ न कुछ होगा। अगर फैसला हिन्दुओं के पक्ष में आया तो मुसलमान भी चुप बैठेंगे यह मान लेना बहुत बड़ी भूल होगी। हालांकि यह सही है कि मुस्लिम संगठनों ने अभी कुछ आक्रामक तेवर नहीं दिखाए हैं लेकिन फैसला आने के बाद क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। चुंकि यह धार्मिक मुद्दा है लोगों की भावनाओं का मुद्दा है, इसलिए यह कुछ सीमित स्थानों पर ही सीमित रहेगा यह भी नहीं कहा जा सकता। अगर जरा सी भी आग लगी तो पूरे देश में फैलेगी और न जाने कितनों को जला कर राख कर देगी। शायद इसीलिए यूपी की मुख्यमंत्री ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए पुलिस अधिकारियों की छुट्टी रद्द कर दी है। ताकि अगर हालात खराब हों तो स्थिति पर तत्काल नियंत्रण पाया जा सके।
मैं नहीं चाहता कि ऐसा कुछ हो, लेकिन बहुत हद तक आशंका है कि कुछ न कुछ होगा जरूर।
दूसरी स्थित बनेगी अक्टूबर में। इस माह में कॉमनवेल्थ गेम्स यानी राष्ट्रमंडल खेल होंगे। हमारे देश के नेताओं को जो कुछ भी करना है वे कर चुके हैं और अंदरखाते कर भी रहे होंगे जिनका खुलासा शायद बाद में हो। लेकिन बाहर के लोगों का क्या कहिएगा। जी, हां मैं बात कर रहा हूं भाड़े के आतंककारियों की। क्या आपको लगता है कि पाकिस्तान और तालिबान यह चाहेंगे कि भारत में राष्ट्रमंडल खेल शांति से हो पाएं? मुझे तो नहीं लगता। वैसे भी भारत में पिछले बहुत दिन से कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ है। पाकिस्तान के हालात खराब चल रहे हैं। बाढ़ से पूरा देश त्रस्त हैं। लोग भूखों मर रहे हैं। सेना राष्ट्रपति जरदारी हो हटाने के लिए पूरे प्रयास कर रही है। कुछ दिनों में ही वहां कुछ बड़ा परिवर्तन दिखे तो अचरज नहीं होना चाहिए। बहुत संभव है कि भारत पर कुछ दिन से इसलिए हमला न हुआ हो कि राष्ट्रमंडल खेल होने हैं। ऐसे मौके पर कुछ किया जाए तो कहने ही क्या। तय है कि निश्चित रूप से बड़ी संख्या में विदेशी भी मारे जाएंगे और भारत की भद्द पिटेगी वह अलग से। वैसे भी आतंककारी अब चाहते हैं कि भारतीयों के साथ साथ विदेशी भी मारे जाएं, इसीलिए होटल ताज पर हमला किया गया था। दिल्ली सुरक्षा इंतजामात को लेकर वैसे भी संतुष्ट नहीं है। भले कोई बड़ी वारदात न हो लेकिन आतंककारी माहौल बिगाडऩे का प्रयास नहीं करेंगे यह मानने वाली बात नहीं है।
तीसरी बात, पेंटागन से खबर आई है कि चीन ने भारत की सीमा पर परमाणु मिसाइल तैनात कर दी है। हालांकि चीन ने इसका खंडन किया और बकवास करार दिया है लेकिन फिर भी चौकन्ना तो रहना ही होगा। यह सही है कि चीन ऐसी कोई हरकत नहीं करेगा, जिससे उसे कोई परेशानी हो, लेकिन वह भारत पर अतिरिक्त दबाव बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। वह सीमा तक अपने सड़क मार्ग को दुरुस्त कर रहा है। यह सही है कि हाल-फिलहाल इस मामले में कोई संकट नहीं आने वाला लेकिन भविष्य किसने देखा है? चीन जिस स्तर की तैयारियां कर रहा है वह निश्चित रूप से चौंकाने वाली और सतर्क करने वाली है। अगर चीन के इरादे नेक हैं तब तो कोई बात नहीं लेकिन अगर जरा भी शंका हुई तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है। पूरा देश राष्ट्रमंडल खेल की तैयारियों में लगा रहे और चीन सिर पर आकर बैठ जाए तो क्या कहिएगा।
खतरे और भी हैं, जो बिना बताए आ सकते हैं। सतर्क सबसे रहने की जरूरत है। मैं एक बार फिर कह दूं कि मैं नहीं चाहता कि ऐसा कुछ हो। मंदिर-मस्जिद मामले का कोई ऐसा हल निकले जो दोनों पक्ष मान लें और देश में सौहार्द का माहौल बना रहे। राष्ट्रमंडल खेलों में अभी तक जो हुआ सो हुआ अब सब सही हो जाए। आतंककारी अपने झंझावातों में फंसे रहे और इधर न आ पाएं। आएं भी तो उनका कोई मंसूबा पूरा न होने दिया जाए, उन्हें मुंह तोड़ जवाब दिया जाए। चीन अपने देश में जो कुछ भी कर रहा है वह अपने विकास के लिए कर रहा हो, उसका इरादा भारत को नुकसान पहुंचाने का न हो। चाहता तो यही हूं, लेकिन कौन जाने कब क्या हो जाए।
जाने क्या होगा रामा रे...

11 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

ha bandhu sahi keh rahe ho.. hame satarak rehne ki jaroorat he. or mujhe room ki............

Pramod Joshi ने कहा…

खतरे हम पर हमेशा हैं, पर घबराने की ज़रूरत नहीं। जब समस्याएं सामने आती हैं तब समाधान भी सामने आते हैं। इससे ज्यादा खराब दौर भी गुज़र चुका है।

avadhesh gupta ने कहा…

पंकज जी, आपकी कल्पना की मैं सराहना करता हूं। लेकिन माफ कीजिएगा, मैं वर्तमान में जीता हूं। जैसी परिस्थितियों के अनुसार ही कार्य करता हूं। जब बाबरी मस्जिद का फैसला आएगा, तब देखा जाएगा। अभी से हिंदू-मुसलमान अपना क्या रुख करेंगे, क्यों चिंता करना ? जब, जैसा होगा, देखा जाएगा। टेंशन नहीं। अकेले आप ही नहीं, हर भारतीय यह चाहेगा कि ये तीनों मामले तूल न पकड़ें। मेरे मत से सभी पहलुओं पर विचार कर तैयार रहना चाहिए।

क्या लिखू, क्या कहूं? ने कहा…

काफी दूर तक सोच ले गई आपकी आपको... सोचना सही है और इसमें कोई खर्च भी नहीं... फिर भी सरकार पर भरोसा रखना चाहिए... और हां, ये आतंककारी शब्द बार-बार खटका है... हो सकता है सिर्फ मुझे...

Dr Subhash Rai ने कहा…

pankaj, desh hai, ek bhautik satta hai to kuchh n kuchh to hota hee ragega. hame jyotishiyon kee tarah nahee^ hona chaahiye. hamaara tark har us kaam ke khilaaph talvar kee tarah honaa chaahiye, jo galat hai. ab agar ayodhyaa mamale me koi phaisalaa ho to usse kisee himdu ya musalmaan ko naaraaj kyo hona chahiye. nyaayik prakriya ke tahat koi bhee upar kee adaalat me jaa saktaa hai. maar kaat machaane kee kyaa jaroorat hai.

Urmi ने कहा…

रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर खतरा ही खतरा है पर उन खतरों का सामना करके आगे चलना ज़रूरी है! बहुत बढ़िया पोस्ट!

sandhyagupta ने कहा…

कोई भारतवासी नहीं चाहता की ऐसा कुछ हो पर सतर्क रहने में क्या बुराई है.आपकी बात से असहमत नहीं हुआ जा सकता.सार्थक लेखन.शुभकामनायें.

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

अच्छी बात है आप चिंतित हैं भविष्य को लेकर। एक जिम्मेदार नागरिक को चिंतन करना भी चाहिए देश का, समाज का। मेरे मन में भी कुछ चल रहा है अयोध्या फैसले को लेकर, क्या होगा? क्या फैसला आएगा? बहुत दिन बाद समय मिला है। देखो कल शायद कुछ लिखूं। बाकी आपको हमारी शुभकामनाएं हमेशा इसी तरह सजग रहिए, देश को ऐसे ही सजग प्रहरियों की जरूरत है।

ZEAL ने कहा…

Let's pray and hope for the best.

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

आप से सहमत. सारी आशंकाएं गलत हों.
आशीष
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish

Parul kanani ने कहा…

pankaj ji kalam ne kya jor pakda hai..kamaal hai..baaki pramod ji ki baat mein bhi dam hai :)

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