शनिवार, जून 19, 2010

वे क्यों बनें प्रधानमंत्री

आरजी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं। पार्टी में छोटे कद के नेता उन्हें आरजी जी कहते हैं, आखिर जी भी तो लगना है। कुछ लोग उनके नाम के आगे बाबा लगा देते हैं। जैसे संजय दत्त को संजू बाबा। कुछ लोग उन्हें युवराज और राजकुमार के भी सम्बोधन से पुकारते हैं। आज वे 40 साल के हो गए। कविता की भाषा में कहें तो उन्होंने 40 बसंत देख लिए। यह बात अलग है कि इन चालीस सालों में से काफी समय उन्होंने विदेश में बिताया है। अब पता नहीं विदेश में बसंत होता है कि नहीं, होता भी है तो कैसा ? पता नहीं।

सबसे पहले तो उन्हें जन्मदिन की बधाई। यह जानते हुए भी उन्हें बधाई दे रहा हूं कि वे ब्लॉग नहीं पढ़ते और न ही अमर सिंह की तरह ब्लॉग लिखते ही हैं। लेकिन, मेरी भावना उन्हें बधाई देने की है किसी न किसी तरह उन तक पहुंच ही जाएगी।

उनकी मां और पिता की तरह उनका भी राजनीति में आने का मन नहीं था पर आना पड़ा। और अब वे अपने पुरखों की पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव हैं। हालांकि प्रधानमंत्री कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि युवा आगे आएं और पार्टी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएं। इसके लिए वे आरजी का ही उदाहरण देते हैं और किसी योग्य युवा को वे शायद नहीं जानते। प्रधानमंत्री अपनी दूसरी पारी के दौरान एक साल होने पर सरकार की कथित उपलब्धियों के लिए संवाददाता सम्मेलन बुलाते हैं तो शान से कहते हैं कि वे चाहते हैं कि आरजी प्रधानमंत्री बनें। प्रधानमंत्री क्या, पार्टी और पार्टी के बाहर का हर शख्स जानता है कि अगले लोकसभा चुनाव में भारत की सबसे पुरानी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी वही होंगे। प्रधानमंत्री ने यह बात इसलिए कही कि यह जरूरी है या फिर इसलिए कि मजबूरी है, सब जानते हैं।
लेकिन, एक बात जो मुझे अक्सर अखरती है और मैं सोचता रहता हूं पर सोच नहीं पाता, वह यह कि आखिर उन्हें प्रधानमंत्री बनने की जरूरत क्या है। उनके परिवार में कई लोग प्रधानमंत्री रहे। लेकिन उनकी मां ने यह सिलसिला तोड़ा। भारत में लोकतंत्र है और उसमें सबसे बड़ा पद राष्ट्रपति का होता है उसके बाद प्रधानमंत्री होता है। लेकिन मजे की बात यह है कि एक पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष इन दोनों लोगों से बड़ी हैं। जिसे चाहती हैं उसे राष्ट्रपति बनवा सकती हैं, जिसे चाहें प्रधानमंत्री। हां, दो और पद है लोकसभा अध्यक्ष और उप राष्ट्रपति का। उनमें इतनी कूबत है कि इस पद पर भी वे जिसे चाहें विराजमान कर सकती हैं। किसी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष में इतनी ताकत हो सकती हैं क्या, राजनीति के विषय में मेरी समझ बहुत कम है, पर शायद नहीं। लेकिन, वे ऐसी ही हैं। 2004 में वे प्रधानमंत्री पद के बहुत करीब पहुंच गईं थी, पर पता नहीं क्यों उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया पार्टी के लोग गुहार लगाते रहे पर वे नहीं मानीं और अब वे क्या हैं, बता ही चुका हूं। अगर वे प्रधानमंत्री बन जातीं तो क्या उनमें इतनी ताकत होती। मेरी समझ में तो नहीं।

यह बात मैं इसलिए लिख रहा हूं कि जब उनमें इतनी शक्ति है तो फिर उनके बेटे और चालीस बसंत पार कर चुके आरजी साहब को क्या जरूरत है कि वे प्रधानमंत्री बनें। अपनी मां की तरह वह भी तो त्याग की मूर्ति बन सकते हैं। त्याग का त्याग और सत्ता की सत्ता, बल्कि सत्ता के भी ऊपर शीर्ष पर, जिसका कोई नामकरण अभी तक नहीं किया गया है। आज उनका चालीसवां जन्मदिन है मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। वह बहुत पढ़े लिखे हैं और कोलंबिया की अपनी महिला मित्र से दूर रहते हैं। जब वे अपनी महिला मित्र के सम्पर्क में थे शायद उन्हें पता नहीं होगा कि वे राजनीति में आएंगे लेकिन अब आ ही गए हैं जान गए हैं कि राजनीति में बहुत सारी चीजें मिलती हैं तो बहुत सी चीजें त्यागनी भी पड़ती हैं।

अगर मेरी यह पोस्ट उनका कोई करीबी पढ़े तो कृपया कर उन तक मेरी बात पहुंचा दे तो बड़ी मेहरबानी होगी। दरअसल मेरी पहुंच उन तक नहीं है। शुक्रिया।

17 टिप्‍पणियां:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

मिसिर जी! राजनीति में सब चौसर का चाल है...जिसके पास सकुनि है और कृष्ण भगवान हैं, ऊ सब खेलाड़ी है..बिसात पर कभी त्याग महान बन जाता है अऊर कभी पद को पाना... हमरा अऊर आपका जईसा आदमी खाली की बोर्ड का बटन टीपते अऊर कागज काला करते रह जाते हैं... हमलोग को घुटन होता है, काहे कि हम लोग समझते हैं कि ई खेल हमरे हिसाब से काहे नहींचल रहा... आधा सताब्दि से देस में जो मैच चल रहा है ऊ सब फिक्स है, ई बात जेतना जल्दी समझ जाइएगा, कस्ट ओतने कम होगा...

hem pandey ने कहा…

आरजी का प्रधानमंत्री बनना बहुत जरूरी है. क्योंकि पता नहीं बिना रीढ़ के कांग्रेसियों में भी कब कोई नरसिंहराव निकल आये.

jugal ने कहा…

rahul desh ke aagami PM hon yahi hamari kamna hai,aap ki tarah mai bhi unke 40th birth day ki bdhai deta hun

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

आरजी और उनकी मां कोई त्याग की मूर्ति नहीं है। सब सत्तालोलुप हैं। अगर इतनी ही त्याग की मूर्ति होती तो पहले मंशा व्यक्त नहीं करती प्रधानमंत्री बनने की, लेकिन जैसे ही कानूनी अड़चने आने लगी तो तथाकथित त्याग दिखा दिया और बन गई त्याग की महान मूर्ति। इससे भी पूर्व कांग्रेस के सम्मानीय और बड़े नेता को किस तरह उन्होंने सबके सामने अध्यक्ष की कुर्सी से जलील करके उतरा था ये भी किसी से छुपा हुआ नहीं है। उसी का नतीजा था कि उनके साथ दो और बड़े नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन अलग रह कर मंशा पूरी नहीं हो रही थी तो वापस कांग्रेस में चले आए। आरजी का भी कुछ ऐसा ही है वे भी पद से अधिक समय तक दूर नहीं रह सकते। हांलाकि उनका जितना जादू है नहीं उससे कहीं अधिक दिखाया जाता है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस का कितने राज्यों से सूपड़ा साफ हुआ ये तो प्रचारित ही नहीं किया गया लेकिन जहां किन्ही अन्य कारणों से पार्टी को जीत नसीब हुई वहां सारा के्रडिट आरजी को दे दिया। उसकी मां अग्रेज है वो भी इटेलियन, और हम सब भुक्तभागी हैं जानते हैं अंग्रेज बड़ी दूर की चाल चलते हैं। खैर अपुन को क्या?
पंकज जी आप अपनी वो कसम तोड़ो कि मैं राजनीति पर नहीं लिखता क्योंकि आप राजनीति पर अच्छा लिखते हो। उनके पिताश्री ने किस तरह अंग्रेजों की सेवा की वो अब तक निकल कर आ रहा है। पहले बोफोर्स कांड में 'कोई त्रोचीÓ था और कोई 'एंडर का सनÓ है। अगर आरजी को अपने पुरखों के नक्शे कदम पर चलना है तो उनसे विनम्र आग्रह है कि वे उस कुर्सी पर न बैठे और न ही अपनी मां की तरह कठपुतली चालक बने। इस देश को अब विकास की जरूरत है अगर है दम तो संभालो कुर्सी। पंकज जी वैसे अपनी भी पहुंच उन तक नहीं है अगर आपकी कोई लिंक लग जाए तो अपना संदेश भी अग्रेषित कर देना।

कडुवासच ने कहा…

...shaanadaar post!!!

PRAVIN ने कहा…

सही कहा आपने, आरजी को प्रधानमंत्री बनने की कोई जरूरत नहीं, और जिस पद 'पार्टी अध्यक्षÓ के सामने प्रधानमंत्री शीश नवाता हो....... आखिर वही क्यों न बनें। इससे कुछ हो या न हो, संविधान का खून तो हो ही रहा है। खैर भारतीय राजनीति का मतलब ही शायद लोगों के भरोसे और भावनाओं का खून करना हो गया है। यही कारण है कि देश में और किसी का विकास हो या न हो अपने नेताओं का खूब विकास हो रहा है। यही नहीं इसमें राजशाही भी चल रही है, किसी और पेशे में ऐसा नहीं उदाहरण के लिए यहां सांसद का बेटा ही सांसद बनेगा या उसी के घर का होना चाहिए गांधी परिवार, सिंधिया परिवार, फारुख अब्दुल्ला परिवार जैसे बहुतेरे उदाहरण आपके सामने हैं। हां जो नेता 'राज परिवारोंÓ से नहीं होंगे उनका खूनी इतिहास या अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होना जरूरी है जो या तो देश का नेतृत्व करने के नाम पर अपने लिए सेटिंग करते हैं या सत्तारुढ़ पार्टी के लिए विधानमंडलों में हाथ उठाते हैं। भारतीय राजनीति के लिए और जब कभी जनता जवाब मांगेगी तो कह देंगे कि न्यायपालिका दोषी है। खैर कांग्रेस पार्टी महिलाओं के लिए चुनाव में सीट भले आरक्षित न करे, उसकी ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की सीट हमेशा के लिए आरक्षित है। दूसरे सामंतों को दूसरे दर्जे के सेनापति जैसे पदों के लिए जोरआजमाइश करनी चाहिए।

Unknown ने कहा…

hi,
decent article.
but i differ.
why RG should not be the PM??
i feel article could have been more balanced had you thrown some light over the available options.

to me, the greatest weak point of indian democracy is that there is no alternative of the Congress. right wing bjp cannot be an effective option as long as it sticks to hindutva and high caste ideology. almost 20% indians are not hindu, 25% dalits dislike high caste hegemony over them.
many times people who donot want to vote Congress vote for bjp in mazboori.
As long as bjp sticks to communal agenda it is unlikely to get majority at the center. Left is dying. regional parties cannot do much good.
majority want security and stability in country. in the present scenario only Congress is in position to offer it.therefore rahul gandhi has good chances of becoming PM. i see nothing wrong in it. dynasty can certainly help him to occupy the top chair but
if he does not perform, people have the power to kick him out as they had done to indira gandhi in 1977 and rajiv gandhi in 1989.
i always believe people are supreme in democracy. if majority want to pee against the wall, then it is duty of the government to erect walls at the suitable places:-)

PS-i wish rahul had floated a new party instead of enjoying homemade Cong icecream.An alternative of the congress is what we indians desperately need.
thanks
pankaj dwivedi
chandigarh

BINDASS ने कहा…

rajnit bhut kharb chi hai is men smay ke hisab se rang bdlna pdata hai. yha kab kya ho jay koi bhrosha nhihai...

ZEAL ने कहा…

...आधा सताब्दि से देस में जो मैच चल रहा है ऊ सब फिक्स है, ई बात जेतना जल्दी समझ जाइएगा, कस्ट ओतने कम होगा...

Sehmat hun Bihari ji se.

Neeraj Mishra ने कहा…

pankaj ji aaap sahi kah rahe hai. satta ka khel bada ajeeb hai, har kisi ki mansa satta sukh Lene ki hoti hai. rahi baat Rahul gandhi ki to mujhe bhi unmain wahi dikhta hai. kya UP main dalito ke ghar Jakar rukne aur khana khane se UP ke dalito ka kuch kalyan hua. nahi. kya kuch logon ke ghar jane se sabhi ka dard samjha ja sakta hai. nahi. to phir aisa kyon? Jahan Tak main janta hoon aur samhta hoon UP main dalito ki sthiti Jas ki tas hai. manmohan singh ke yeh kahne se ki woh kursi chod denge. to phir rahul PM kyon nahi ban jate. unhe apni neeti clear karni chahiye. mumbai main local train main safar karne ko aap kya kahenge. publicity ya kuch aur ? manse ne kala jhanda dikhane ko kaha to root badalkar Local main chale gaye, Local main safar kiya logan ka dard najdeek se dekha to phir wo dard wo aawaj kaha chali gayi. wo saansad hai.
main unke chetra amethi ki baat karron to aaj bhi dalit mahilaon ko nanga kiya jaata hai. rahul agra amethi main sudhar nahi karwa sakte. ek chetra main badlav nahi la sakte to desh ki baat karni bemani hogi,

Subhash Rai ने कहा…

पंकज तुम्हारा ब्लाग इस बार ब्लागचिंतन में शामिल कर रहा हूं. धन्यवाद.

Dr maharaj singh parihar ने कहा…

bhai pankaj
aapka udhbhavna blog dekha. bahut achchha laga.

Dr maharaj singh parihar
www.vichar-bigul.blogspot.com
email pariharms57@gmail.com

बेनामी ने कहा…

bhai pankaj
aapka udhbhavna blog dekha. bahut achchha laga.

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Prem Farukhabadi ने कहा…

bahut achchhi lagi aapki post.Badhai!

Prem Farukhabadi ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

हमारी दुआ है, जरूर पहुंचेगी।
---------
क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

नए लेआउट के साथ आपका स्वागत है....

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