बुधवार, मई 25, 2011

मैं भी जेल चला जाऊं

इन दिनों दिमाग बड़ा विचार मंथन कर रहा है। कभी कुछ सोचता है तो कभी कुछ। आखिर उसका काम ही यही है, सो करेगा ही। वैसे इन दिनों पूरा देश और दुनिया किसी न किसी बात को लेकर विचार मग्न है। हो भी क्यों न आखिर हो भी तो ऐसा ही कुछ रहा है।
आईपीएल अपने अंतिम दौर में है और अब कुछ गिनी चुनी टीमें ही रह गई हैं। इन्हीं में से कोई टीम विजेता बनेगी। टीवी के खेल पत्रकार और उसमें आने वाले तथाकथित विशेषज्ञ अपने-अपने हिसाब से बता रहे हैं कि कौन जीतेगा और क्यों। एक बहुत बड़े ज्योतिषी ने दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी कर दी। तारीख निकल गई लेकिन दुनिया जस की तस है और दुनियादारी चल रही है। दुनिया खत्म हो जाती तो कोई पूछने वाला ही नहीं रहता लेकिन वाह री दुनिया खत्म ही नहीं हुई। अब तो लोग पूछेंगे ही। सवाल करेंगे ही। कुछ तो लोग कहेंंगे...., सो कहे जा रहे हैं। ज्योतिषी साहब भी कहां पीछे रहने वाले हैं, एक और तारीख बता दी। करो तब तक इंतजार। देखते हैं क्या होता है। ज्योतिषी और वैज्ञानिक इसी चक्कर में अपने दिमाग पर जोर दे दे कर थके जा रहे हैं। ओसामा बिन लादेन मर गया, लेकिन अपने पीछे छोड़ गया सवालों का अंबार। लोग तरह-तरह के सवाल कर रहे हैं और विशेषज्ञ उसके जवाब भी दे रहे हैं। इसी बीच मुल्ला उमर के मारे जाने की खबर आई। कोई कह रहा है वह मारा गया, कोई कह रहा है वह जिंदा है। इस पर भी लोग मगजमारी कर रहे हैं। पता कर लो तो जानें।
भारत में इन दिनों एक और मामले पर दिमाग पर जोर डाला जा रहा है। भ्रष्टाचार के आरोपी जेल जा रहे हैं। कई बड़े लोग जेल में है और कई बाहर। टीवी पर विशेष कार्यक्रम आ रहे हैं और अखबारों में खास रपटें और टिप्पणी लिखीं जा रही हैं कि अंदर वाला कब तक अंदर रहेगा और बाहर वाला कब अंदर जाएगा। बाहर वाले लोग यह सोच-सोचकर दिन काट रहे हैं पता नहीं कब भीतर जाना पड़े।
मेरे विचार मंथन का कारण इसमें से कोई नहीं है। मेरा कारण यह है कि क्यों न मैं भी जेल चला जाऊं। दरअसल इन दिनों दिल्ली की तिहाड़ जेल में इतने बड़े-बड़े लोग हैं कि दिल है कि मानता ही नहीं....। जब से कनिमोझी उर्फ कनिमोई उर्फ कनिमोणी जेल गई हैं तब से मैं विचलित सा हुआ जा रहा हूं। मुझ जैसा साधारण आदमी खुली हवा में तो ऐसे बड़े लोगों से मिल पाने में समर्थ है नहीं। वहीं एक मौका बन सकता है। क्यों न उसे लपका जाए। हूं तो पेशे से पत्रकार ऐसे में कहा जा सकता है कि पत्रकारों के लिए ऐसे लोगों से मिलने मेें भला क्या समस्या। लेकिन समस्या है, साहब...। जब नीरा राडिया जैसी हस्तियां माध्यम (मीडियम) का रोल निभाने लगती हैं तो मेरी संभावना और भी नगण्य हो जाती है।
भला आप ही बताइए, क्या सेक्स रैकेट चलाने वाली देश की नामी कॉल गर्ल ने कभी सोचा होगा कि करुणानिधि की पुत्री उनके साथ रात गुजारेंगी। यही नहीं ऐसा भी मौका आएगा जब वह खुद अपने हाथों से कनिमोई के आंसू पोछेगी। मुझे तो नहीं लगता। राजा हों या कलमाड़ी। लोग उन्हें पूरे मन से गालियां दे रहे हैं। लेकिन मैं नहीं देता। मैं तो उनकी मुस्कुराहट पर फिदा हूं। जब भी टीवी पर उनकी तस्वीर दिखाई जाती है दिल खुश हो जाता है। वही मुस्कुराता हुआ, दिल खिलाता हुआ मेरा यार...। लगता है जिंदगी कैसे जी जाती है कोई इनसे सीखे। कोई कहे कहता रहे कितना भी इन्हें भ्रष्टाचारी, इन लोगों की ठोकर में है ये जमाना....। मैं चाहता हूं कि कोर्ट कुछ और दिन इनकी जमानत की अर्जी स्वीकार न करे साथ ही कुछ और लोगों को भी तिहाड़ पहुंचाने की जुगाड़ करे। तब तक मैं कोई न कोई ऐसा काम कर ही दूंगा कि उनके पास तक पहुंच जाऊं। और फिर कौन सा जीवनभर जेल में ही रहना है। कुछ दिन की ही तो बात है। बाहर आकर फिर सब ठीक ही हो जाएगा। फिर पत्रकारिता भी धड़ल्ले से चलेगी और राजनीति भी। अब यह सोच रहा हूं कि कौन सा ऐसा काम करूं जो तिहाड़ में जगह मिल जाए।


पुनश्य

हां... अगर तिहाड़ में जगह न मिले तो मुंबई की येरवडा जेल में भेज दिया जाए। सुना है वहां अतिथि देवो भव का भाव बहुत है। हो सकता है कुछ दिन वहां रहकर कुछ सेहत ही ठीक हो जाए। और एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की शख्सियत से मिलने का मौका भी तो मिलेगा। फिर मैं भी अंतरराष्ट्रीय हो जाऊंगा।

14 टिप्‍पणियां:

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

घूम आयो यार.... और जरा कनिमोझी उर्फ कनिमोई उर्फ कनिमोणी को कह आना अगर वो अपने बाप और माँ के काले कामों में साथ न देती तो आज साहित्य की सेवक होती... और सोनू पंजाबन को भी नसीहत देते आना की तुमने भारत की नारी जाती का खूब अपमान किया है... और कलमाड़ी से कह देना की पेट भर गया हो तो बेचारे खिलाडियों को अपना खेल खेलने दो...

ALOK ने कहा…

प्रिय पंकज जी ये जान कर परसंता हुई की आपने देव भूमि में भी आपना अमूल्य समय दिया है \ आपका आज का ब्लॉग पड़ा ,बहुत अच्छा लगा की हमारे देश की मीडिया के पास ई .पि .एल ख़तम होते होते घुस खोरी का नया मसाला मिलगया . आपने जेल में जाके कनिमोझी उर्फ कनिमोई उर्फ कनिमोणी से मिलने के लिए आतुर है पर क्या कभी आपने उन लोगो के बारे में सोचा जो बिना किसी कारण के सालो से जेल में बंद है? या फिर उनकी कोई सुनने वाला नहीं है क्योकि वो आम आदमी है . जिनके पास मुलाकात करने के भी पैसे नहीं होते . जो जानवरों की तरह रखे जाते है ...............

avadhesh gupta ने कहा…

प्रिय पंकज जी, लगता है आपको जेल जाने का बहुत शौक है। आप क्यों टेंशन लेते हैं। चुपचाप सो जाइए, ज्यादा दिमाग मत लगाइए अन्यथा धरती का बोझ कम हो जाएगा। ये तो खबरें हैं, चलने दो। ये दुनियां गोल है भाई। वैसे, जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल तो भुगतेगा। वे अपने किए की सजा भुगत रहे हैं। हां, आप भी ऐसा महान काम करके प्रसिद्धि पा सकते हैं। कम से कम तिहाड़ नहीं तो जिला जेल में तो जगह मिल ही जाएगी।

avadhesh gupta ने कहा…

प्रिय पंकज जी, लगता है आपको जेल जाने का बहुत शौक है। आप क्यों टेंशन लेते हैं। चुपचाप सो जाइए, ज्यादा दिमाग मत लगाइए अन्यथा धरती का बोझ कम हो जाएगा। ये तो खबरें हैं, चलने दो। ये दुनियां गोल है भाई। वैसे, जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल तो भुगतेगा। वे अपने किए की सजा भुगत रहे हैं। हां, आप भी ऐसा महान काम करके प्रसिद्धि पा सकते हैं। कम से कम तिहाड़ नहीं तो जिला जेल में तो जगह मिल ही जाएगी।

Urmi ने कहा…

टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
सच्चाई को आपने बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! जैसी करनी वैसी भरनी! जो कारनामा कनिमोझी ने किया है उसका फल तो मिलेगा ही और जो भी फैसला हुआ बिल्कुल सही रहा!
मुझे आपके ब्लॉग पर फोलोवर कहीं दिखाई नहीं दिया !

संजय भास्‍कर ने कहा…

man karta hai jana to chaiye ek baar

बेनामी ने कहा…

बढ़िया.....सुन्दर.
पंकज झा.

Udan Tashtari ने कहा…

वैसे भी दुबले बहुत हो गये हो...लगता है बाहर की हवा रास नहीं आ रही है...

कुछ दिन सेहत ठीक कर ही आओ. :)


जब भी टीवी पर उनकी तस्वीर दिखाई जाती है दिल खुश हो जाता है। वही मुस्कुराता हुआ, दिल खिलाता हुआ मेरा यार...। लगता है जिंदगी कैसे जी जाती है कोई इनसे सीखे।

- इनके व्यक्तित्व और कृतित्व से काफी प्रभावित हुए हैं आप...उनका जीवन सफल भया. :)

Udan Tashtari ने कहा…

मुंबई की येरवडा जेल ???

गलत एड्रेस लिए आर्थर रोड जेल न चले जाना पूना की जगह....वरना निकलने पर न पत्रकारिता रहेगी और न राजनिति...बस, हाथ में नकली पासपोर्ट होगा और नाम के बाद भाई. :)

falsafa ने कहा…

bahut sundar abhivyakti... isme kupatro ko supatro me apne bahot he sundar tarike se badal diya hai bhai.

manoj kumar sharma ने कहा…

badai ho pankaj ji jail jane ki sochne ki kitna himat ka mak kiya hain aapne

sandeep upadhayay ने कहा…

पंकज शुरुआत में काफी घुमाया लेकिन मुद्दा ठीक है। तुमने कनिमोझी के तीन नाम कनिमोझी उर्फ कनिमोई उर्फ कनिमोणी को बता कर उनके नाम के कंफ्यूजन को दूर भी कर दिया। और हां पत्रकार की ताकत कलम और उसकी लेखनी से ही जानी जाती है। और रही बात इन जैसे भ्रष्टाचारियों से मिलने की बात तो भगवान न करे कि मेरा इनसे वास्ता पड़े... शेष आपकी मर्जी हां एक सलाह दूंगा अगर जेल जाना है और नाम कमाना है तो माया वती से उलझों उसकी एक भी निर्माणाधीन मूर्ती में पत्थर मारकर तोड़ दो तुम जिस जेल में जाना चाहोगे पहुंच जाओगे... good luck

devendra gautam ने कहा…

आपके विचार नेक हैं. भाई! जेल जाने से पत्रकार और नेता की तो टीआरपी ही बढती है. मैं तो कहूंगा लगे रहो मुन्ना भाई. मेरी शुभकामनायें साथ हैं. पोस्ट अच्छी है. भाषा सरस है. बधाई!
--देवेंद्र गौतम

गौरव भारद्वाज ने कहा…

भाई पंकज (तोगड़िया) कब जा रहे हो और क्यों जाना चाहते हो? अन्ना ने कहा है कि सही काम के लिए जेल जाने से अलंकार बढ़ता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आप .... खैर छोडों जब जाओ तो इत्तलाह जरूर कर देना। कोशिश करूंगा कि तुमसे मिलने आऊं । बहुत दिन हो गए हैं तुमसे मिले।

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