tag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post827593446456662235..comments2023-09-29T00:42:27.415-07:00Comments on उदभावना: राष्ट्र अभी तक गूंगा है!पंकज मिश्राhttp://www.blogger.com/profile/05619749578471029423noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-72569486654504247532010-09-23T05:29:34.411-07:002010-09-23T05:29:34.411-07:00वर्ष में एक दिन हिंदी के नाम का दिया जलाने से कुछ ...वर्ष में एक दिन हिंदी के नाम का दिया जलाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला.sandhyaguptahttps://www.blogger.com/profile/07094357890013539591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-59624925926134065272010-09-22T07:48:39.867-07:002010-09-22T07:48:39.867-07:00pankaj ji jitna keha-suna jaye kam hai..vastav mei...pankaj ji jitna keha-suna jaye kam hai..vastav mein hindi ke vikas ke pakshdhar hi kuch had tak iske vikas mein badhak hain :)Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-62255457994388055532010-09-17T05:48:23.004-07:002010-09-17T05:48:23.004-07:00हिंदी की स्थिति दुखद तो है, लेकिन फिर भी वो दिन दू...हिंदी की स्थिति दुखद तो है, लेकिन फिर भी वो दिन दूर नहीं , जब हिंदी को अपना खोया हुआ सम्मान वापस मिलेगा । इस सुन्दर लेख के लिए आपको बधाई।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-63341750636292442802010-09-15T05:05:49.966-07:002010-09-15T05:05:49.966-07:00इसे विडंबना कहें या देश का दुर्भाग्य कि हमारे देश ...इसे विडंबना कहें या देश का दुर्भाग्य कि हमारे देश की कोई भाषा नहीं है। सबसे ज्यादा टीस तो तब होती है कि देश और हिंदी प्रेम का दंभ भरने वाले कथित देशप्रेमी नेता लोकतंत्र के मंदिर में बैठे नुमाइंदों ने भी हिंदी दिवस पर कार्यक्रमों को संबोधित किया, भाषण दिए। लेकिन इसके लिए कोई ठोस पहल नहीं की। पंकज जी आपको साधुवाद। इस मुद्दे को आपने उठाया। आजादी को आधी शताब्दी से ज्यादा बीत चुकी है, लेकिन नेताओं ने कुछ नहीं किया। इस बीच कई मुद्दे आए और गए। धन्य हैं हिंदी के वे पुजारी जिन्होंने इसे जिंदा रखा है। अंग्रेजी आना बुरी बात नहीं है, लेकिन उसी के गुलाम बने रहना ठीक नहीं। आपने सही लिखा है कि जाते-जाते अंग्रेज भारतीयों के दिमाग में ऐसी अमरबेल डाल गए, जो नष्ट होने वाली नहीं है। मॉल संस्कृति में हर कोई अंग्रेजी का चंपू बनकर खुद को लाटसाब समझने लगता है, लेकिन भाई याद रखो, आखिर यह परदेसी है, अपने देश में रहना है, तो हिंदी में बात करो। गुजारिश में संसद में बैठे लोगों से हिंदी में काम करो, जिससे हाथ ठेला खींचने वाला भी समझ सके। गुजारिश है दिल्ली में बैठे मान्यवरों से गांधी के देश में गांधी को ही मत बेचो, नहीं तो...avadhesh guptahttps://www.blogger.com/profile/00070327941363062071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-9496144142357105972010-09-15T01:10:02.163-07:002010-09-15T01:10:02.163-07:00हिंदी दिवस तो महज औपचारिकता रह गयी है........वास्त...हिंदी दिवस तो महज औपचारिकता रह गयी है........वास्तविकता में जो इसके पैरोकार बने हुए है....उन्ही के बच्चे शहर के सबसे महंगे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते है आज...dwivedijournalisthttps://www.blogger.com/profile/02032632008110073861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-91725591040715917982010-09-15T01:10:01.867-07:002010-09-15T01:10:01.867-07:00हिंदी दिवस तो महज औपचारिकता रह गयी है........वास्त...हिंदी दिवस तो महज औपचारिकता रह गयी है........वास्तविकता में जो इसके पैरोकार बने हुए है....उन्ही के बच्चे शहर के सबसे महंगे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते है आज...dwivedijournalisthttps://www.blogger.com/profile/02032632008110073861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-89692759977048566182010-09-14T11:36:37.379-07:002010-09-14T11:36:37.379-07:00अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद। इस देश में जो-जो नही...अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद। इस देश में जो-जो नहीं होना चाहिए वही होता है उसी का नतीजा है कि हमें आज जहां होना चाहिए था आज हम वहां नहीं है। वैसे एक बात तो आपने सही कही कि हमें हिन्दी की याद भी आज ही के दिन आती है। आज ऐसे भी कई महान लोग हिन्दी पर लेख लिख रहे होंगे, जो व्यक्तिगत जीवन में अंग्रेजी को अधिक महत्व देते होंगे।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-683258541123003633.post-34171130096979471952010-09-14T10:45:01.669-07:002010-09-14T10:45:01.669-07:00माफ कीजिएगा,मैं हिन्दी के विकास के लिए किसी भी तरह...माफ कीजिएगा,मैं हिन्दी के विकास के लिए किसी भी तरह भाषाई एकजुटता के एजेंडे का पक्षधर नहीं हूं।<br />बाकी आपकी बातें मुझे एक हद तक अकादमिक लगी।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.com